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मित्रता दिवस विशेष

-----  मित्रता दिवस पर विशेष -----

दुनिया में असमानता शाश्वत रूप में विद्यमान रही है . मनुष्य एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसने चराचर जगत में चिंतन को एक विशिष्ट गुण के रूप में प्रदर्शित किया है. इसी चिंतन की देन हैं कि प्रकृति द्वारा स्थापित हर मान्यताओं को सबने अपने अनुसार व्याख्यित करने का प्रयास किया है.

तमाम असमानताओं से ऊपर उठकर, बिना किसी समाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, लैंगिक, , शारीरिक , और अन्य प्रकार के भेदभाव के आपसी सामंजस्य के साथ मैत्री पूर्वक प्रेम तथा मेलजोल बनाए रखने का आधिकारिक प्रयास किया गया.

1958 में परागुए में Ramón Artemio Bracho ने एक संगठन तैयार किया गया.World Friendship Crusad  नामक यह संगठन शांति के साथ मैत्री आधारित जीवन को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया . तब से हर साल पराग्वे में 30 जुलाई को अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाया जाता है.

जब बदलते समय में संचार क्रांति ने वैश्विक जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई तो इस मैत्री भावना के प्रसार का सन्देश अन्य देशों को भाने लगा.  27 अप्रैल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा ने 30 जुलाई को आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा की थी .

हालाकि एशियाई देशों सहित लैटिन अमेरिकी देशों में मित्रता दिवस को अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है. कुछ अपुस्त कहानियां ऐसी प्रचलित है कि अमेरिकी राज्य में पुलिस द्वारा एक नागरिक की हत्या हो गई और अकेला महसूस कर रहे उस नागरिक के दोस्त ने आत्महत्या के ली.

इस धटना ने तत्कालीन समय में लोगों को झकझोर दिया. उन्हें लगा कि यह हत्या एक व्यक्ति की नहीं बल्कि एक भावना कि हत्या है. सरकार से मांग की गई की इस भावना की हत्या कि स्मृति में हर साल मित्रता दिवस मनाया जाय. जब लोग पूरा समय अपने मित्र को दे सके. तो इसकी तारीख रखी गई अगस्त में पहला छुट्टी का दिन " रविवार "

इसी प्रकार की कई कहानियां प्रचलित है. जब पहले जमाना डिजिटल नहीं था तब बड़े शहरों के पढ़े लिखे लोग ग्रीटिंग कार्ड्स के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त करते थे. आज डिजिटल युग में मैसेज के माध्यम से इसकी सूचना प्रत्येक व्यक्ति तक फैल गई है.

हालाकि ऐसा लगने लगा है कि समय कि दौड़ में आगे निकलने के लिए भागती यह दुनिया बस औपचारिकता के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से मैसेज भेजने की औपचारिकता भर निभा रही है. क्योंकि वास्तव में एक दूसरे को प्यार करने , दिल की बात सुनने का समय किसी के पास नहीं रहा .

हिन्दुस्तान जैसे तीसरी दुनिया के देश जहां कि आत्मा अभी भी गावों में बसती है , लंबे समय तक मित्र, मातृ, पितृ, आदि दिवसों से अनभिज्ञ रहे. यहां बसने वाले लोगों के लिए प्रत्येक दिन अपने परिवार ,अपने लोगों के लिए समर्पित रहा है. हां, बदलती दुनिया, भूमंडलकरण, वैश्वीकरण के अर्थ इसपर विराम लगाते दिखते है.

हर देश की संस्कृति को वहां का साहित्य प्रभावित करता है. साहित्य आधुनिक रूपों में सिनेमा सहित प्रकार में प्रदर्शित होता है. यहां भी मित्रता को अमिट स्वरूप में दिखाया गया है. प्राचीन काल में ग्रंथ द्वारिका के राजा श्री कृष्ण और गरीब ब्राह्मण सुदामा के बीच अमर कहानियों का जिक्र करते है, ऐतिहासिक पात्रों में राम सुग्रीव कि मित्रता,राम बिविषण की मित्रता, अर्जुन कृष्न की मित्रता , कर्ण और दु्योधन की मित्रता का उदाहरण दिया जाता है . वहीं हिंदी साहित्य के आधुनिक कथाकार प्रेमचन्द्र मनुष्य के बीच मित्रता की कई कहानियां तो लिखते ही है, इसके साथ वे जानवरों और मनुष्य के बीच अमर कथा के परिचायक बनते है.साहित्य में मित्रता के उपर इतना लिखा जा चुका है कि बखान करना आसान नहीं है.फिर भी व्यक्तिगत तौर पर मेरे उपर उपन्यास गुनाहों के देवता के पात्र चन्दर और सुधा के बीच प्रेमवत मित्रता का ऐसा मोहपाश है की उससे बाहर निकलना दूभर है.भारत के साहित्य प्रेमी ऐसे कई उदाहरण गिनाते है.

वहीं सिने प्रेमियों के दिल में शोले फिल्म के जय वीरू कि अमर जोड़ी बसती है, जिसे भारतीय सीने स्टार अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द ने पर्दे पर निभाया था. इसके अलावा हाथी मेरे साथी फिल्म में हाथी और मनुष्य के बीच की दोस्ती की कहानी पेश की गई जो बेहद मशहूर है. फिल्म याराना का गाना तेरे जैसे यार कहा आज हर दोस्त के जुबान पर बसता है. अंदाज अपना अपना, दिल चाहता है, रंग दे बसंती, थ्री इडियट, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा जैसी फिल्में दोस्ती कि अमर कथाएं दिखने के लिए प्रसिद्ध है. वहीं 2018 में आई एक फिल्म " वीरे दी वेडिंग" ने चार लड़कियों की दोस्ती की नए कलेवर वाली कहानी को दिखाकर खूब वाहवाही बटोरी.

मैत्री, मित्रता, सखापन, सख्य, साथ,संग, मेल-जोल, स्नेह, प्यार का यह दिन रोज जीवन में सूरज कि पहली किरण के
आता रहे.
सभी मित्र जो सुख और दुःख दोनों का बटवारा करते है, उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित है.
और गिलास के इस पानी को भी प्यार जब कभी मैं मानसिक रूप से परेशान होता हूं, इसे पीकर तरोताजा हो जाता हूं. फिर ऎलान होता है नए जंग का
       
                               ---- राहुल पांडेय रश्की

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