किसी शायर ने कहा है कि किसी इंसान में बसते है कई इंसान, उसे ठीक से देखना हो तो कई बार देखो. चित्र - मीनाक्षी मैंने कभी भी इसे सिरियस नही लिया. क्योकि मुझे यकीन था की इंसान ऐसा भी नहीं होता है कि जब भी मिले हर बार अपना चेहरा बदलता रहें। कहते है उम्र आदमी को अनुभव देता है। बहुत कम उम्र में मुझें जल्दी ही यह अहसास हो गया कि इंसान बिल्कुल उस गुलाब की तरह होता है, जो एक वक्त पर नन्हा कोमल बिना काटों वाला सुकांत होता है वहीं दूसरे वक्त पर खुशबूदार प्रेम का प्रतीक फूल बना होता हैं। फ़िर तीसरे वक़्त पर वह पंखुड़ियों में किसी मृत प्रायः देह पर बिखरा होता हैं। चित्र - मीनाक्षी मेरी आदत रहीं है कि खुली किताब की तरह रहों. इसके कई फ़ायदे है। व्यक्तित्व इतना बिंदास हो जाता है कि किसी से छिपाने को कोई बात नहीं होती है। हृदय में कोई झूठ नहीं होता है, जिसे गहरे घाव की तरह दबा कर रखा जाए. जिंदगी खुशहाल रहती हैं. चमकती रहती है. बिल्कुल ऐसे जैसे किसी फिला मेंट वाले बल्ब से सूरज चमक रहा हो। चित्र - विपुल मेरे आप पास ऐसे कई लोग है जो
" रश्की नामा " ब्लॉग के एक एकमात्र और नियमित लेखक राहुल कुमार पाण्डेय " रश्की " हैं। आप हिंदी साहित्य , राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के गंभीर अध्येता हैं। समसामयिकी विषयों पर चिंतन और लेखन को लेकर सक्रिय रहते हैं। इस ब्लॉग पर व्यक्त विचार नितांत व्यक्तिगत हैं। उपलब्ध सामग्री राहुल पाण्डेय रश्की के स्वामित्व अधीन हैं। प्रकाशन हेतू अनुमती आवश्यक है। ब्लॉग से जुड़े समस्त कानूनी मामलों का क्षेत्र इलाहाबाद होगा।