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Showing posts from July, 2020

लॉक डाउन में आपकी यादें !

लॉक डाउन में आपकी यादें ! 2019 में कोई रात रहीं होगी। हम दोनों अपने-अपने रूम में खाना खाकर कुछ देर आपस में व्हाट्सएप पर बतिया लिए। हमने सोचा कि कुछ पढ़ लें , इस नियत से नेट ऑफ कर फोन रख दिया। इसके बाद कॉल आ गया। हमने बता दिया अब पढ़ने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम भी आ जाए साथ पढ़ने, मैंने बुला लिया। साथ में 2 बजे तक पढ़े होगे। फ़िर आराम करने लगें। बैठे बैठे कमर भी दुख गई होगी शायद इसी लिए लेट गए। मेरे साथ एक बड़ी दिक्कत है कि अगर हाथ में मोबाइल हो तो सामने कितना भी प्रिय व्यक्ति बैठा हो मैं मोबाइल चलाने में व्यस्त हो जाता हूं। उस समय भी मैंने बैठ कर मोबाइल चलना शुरू कर दिया। इस पर उन्होंने गहरी आपत्ती दर्ज की.. जो शब्दों के रूप में ना होकर मोबाइल छीना झपटी के रूप में थीं। मैंने कहा ठीक है रख देता हूं और मोमेंट के मुताबिक एक गाना लगा दिया " लग जा गले "! दो तीन घंटे की जबरजस्त पढ़ाई, रात के डेढ़ दो बजे का समय इमोशनल किए जा रहा था। गाने के साथ उन्होंने भी गुनगुनाना शुरू कर दिया। कसम से उस समय उनकी आवाज़ लता जी से भी प्रिय लग रहीं थीं। मैं मोबाइल में बज रहें गाने को भूल

तुम्हारे नाम मेरी आखिरी कविता

मेरे आख़िरी कविता ! मैं कविताएं लिखता था देश पर, दुनिया पर , समाज पर, समस्यायों पर जब तुम मिली तो मैंने पहली बार प्रेम पर कविता लिखी तुम्हारे आगोश में मैं डूब जाता था जब मधुर ताल और लय सनी तुम्हारी निगाहों से गुजरी जुबानों से छनी कविताएं सुनता था प्रेम पंक्तियों की छत थी तुम जाने के बाद जैसे जुबां सिल गए हो गला बंध गया हो मैं ऐसा ही हो गया था। मेरी कविताएं किसी की पसंदीदा नहीं रह गई थी कोई नहीं था, जो हां हां..करें साथ में सीढ़ियां चढ़ते हुए गुन गुनाने लगे मेरी ही कविता तुम्हारा जाना मेरी कविताओं के सर से छत का जाना था मुझे याद है हजारों दफा मैंने टोका था तुम्हें सुनो........... मेरी कविताएं तुम्हें बोर नहीं करती हैं। तुम जवाब में हर बार कहती नाक बड़ी है तुम्हारी अरे ने नाक वाली बात क्या मस्त जोक मारा था छत पर और कितना हसें थे हमदोनो लगभग आधे घंटे तक एक दूसरे कि नाक को देख कर हसे थे देखो ना, ये हसीं अब गुम हो गई है तुम्हारे जाने और बाद वापस लौटने से पहले मैंने खोजने कि कोशिश की यह गुमशुदा हसी एक बार तो लगा कि मिल गई मुझे बिल्कुल तुम