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राहुल रश्की की चुनिंदा कविताएं

राहुल रश्की की चुनिंदा कविताएं

1. लॉकडाउन में उसकी यादें

आज पढ़ते वक़्त वो नजर आ रही है
 किताबों के पन्ने में खुद को छुपा रही है
ना जाने क्यों इतना शरमा रही है ?
मारे हया के न कुछ बोल पा रही हैं !
इन घुटन भरी रातों में
खुराफ़ाती इशारें से
हमें कुछ बतला रही है !
आशय, अर्थ, प्रकृति हो
या फ़िर परिभाषा
सबमें वह ख़ुद का
विश्लेषण करा रहीं है
इस टूटे हुए दिल में
क्यों घर बना रहीं है ?
घड़ी की सुई
समय को फ़िर दोहरा रही है
कोई जाकर पूछे उससे
अपनी मुहब्बत में एक नया
रकीब क्यों बना रहीं हैं ?

                   - राहुल रश्की

                    चित्र - मीनाक्षी

2 . कलेजे में प्यार पकाता हूं


मैं जिससे प्यार करता हूं
वो किसी और से प्यार करती है
और मुझसे प्यार का दिखावा
मैं कवि हूं
यह प्यार मुझे छलावा लगा 


मैंने मुंह मोड़ लिया है उससे
जैसे धूप से बचने को हर इंसान
सूरज से मुंह मोड़ लेता है

मैं अपने कमरे में अकेले रहता हूं
वहां मुझे कई लोग मिलते है
मेरे आस पास
वो भीड़ लगा कर मेरी बातें करते है
और मैं कुहुक कर
उनसे कहता हूं


मेरे दिल में देखो
कितना प्यार भरा पड़ा है
चख के देखो
बिल्कुल ताज़ा है
जैस मिट्टी के कच्चे चूल्हे में मां
आग लगाती है
मैं उसपर कलेजा रखकर
प्यार पकाता हूं


मुझे भरोसा दिया है
दौड़ती दुनिया ने
जैसे हर गाड़ी अपने पीछे उड़ते
धूल के गुबार को छोड़ जाती है
अगले पड़ाव पर जाने के लिए


वैसे ही मैैं इस मजमे से
आगे बढ़ जाऊंगा
यह काला धुआं किसी बरसात में
घुल जाएगा
और सफेदी कि चादर ओढ़े
सुबह जरूर आएगी
                        -  राहुल रश्की

             चित्र :- मीनाक्षी

  इतनी सी दुनिया


इतना देख लिया इस दुनिया को
अब कुछ देखना बाकी नहीं रह गया 

रोज अकेले ही पैमाने भरा करता हूं
मयखाने में कोई साकी नहीं रह गया

मेरी जी हुजुरियत इतनी है कि
मुझे *अहमक समझ लिया नदानों ने

वो कहते फिरते है तुममें अक्लमंदी नहीं है
 मैं जंगल में भटकते बनजारों सा रह गया

महज कुछ लोग बचे है जो अपना समझते है यहां
मैं इनके बीच आवारों सा रह गया

अगर वो दीप बने तो
मै फतिंगे सा उसमें मरा रह गया

लाजिमी है की वो झूठ बोले हमसे
मैंने कुछ नहीं कहा सब बचा गया

                                 राहुल रश्की

                    चित्र - मीनाक्षी








Comments

  1. These Words are just Vbr write, I have seen these word in some booksort nd I could be nd i thought it was a same as sameer or nusrat, javed have taken these line in ownpoetry, I don't think so these are magicall or hilarious but I sure u have shown in its own way but nor be authentic , next time we used your personal feels so u better be seen in other eyesight

    So I conquered that I'm suggest that you can be found such ur moralistic nd it could be or better

    ReplyDelete

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