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Showing posts from January, 2022

मैं अपने आप को अच्छा नहीं मानता हूं

हसीन, ख़ामोश और बेहद सशक्त ! उसके बारे में केवल यही तीन बातें ; मुझे याद हैं। पहली बार अपनी मध्यमवर्गीय औकात का मुकुट सर पर सजाए उसे एक चाय की टपरी पर ले गया था। फिर मुलाकातें बढ़ती गई, आना जाना लगा रहा और एक दिन हम साथ रहने लगे. आज़ जब बहुत दूर होकर भी उससे करीबी महसूस करता हूं तो एक ही चीज़ खटकती है ; उसकी ख़ामोशी ना जानें क्यूं , ख़ामोशी ही उसके जीवन का सार रही। ख़ामोशी ही प्रश्न और ख़ामोशी ही उत्तर । इसे उसने हथियार बना रखा था। अपनी हर तारीफ पर ख़ामोश रही। हर बुराई पर भी ख़ामोश। उसकी हर मुस्कुराहट में ख़ामोशी झलकती थी तो हर आंसू ख़ामोशी की एक भरी दास्तां लेकर निकलते थे।  हर अत्याचार को ख़ामोशी से सहने वाली ने ख़ामोशी में ही मुझसे प्यार कर लिया और एक दिन ख़ामोशी से इज़हार भी कर दिया, चुपके से आई - अपनी एड़ियों को थोड़ा उचकाकर अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा और अपनी ओर खींच लिया। सांसों की मिली हुई सरगम के बीच आंखों को बंद किए हुए ही मेरे कानों में बेहद खामोशी से कुछ शब्द कहें . मैं ज़ोर देकर कहें देता हूं, आप उसकी ख़ामोशी को चुप्पी मत समझ लेना, ना बिल्कुल ना ! वो चुप्पी मार कर रहने वालों