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Showing posts from December, 2020

पहला प्यार और बिछोह ( भाग 1 )

 जब उससे विछोह ( बिछड़ना ) हुआ तो वो समान्य प्रेमियों के ब्रेक अप जैसा कुछ नहीं था। यूं तो हम कई बार कभी 2 दिन या फ़िर कभी 5 दिनों के लिया बातचीत बन्द कर देते थे। फ़िर हमारी बातचीत किसी ना किसी बहाने शुरू हो जाती थीं। लेकिन यह विछोह था। हमेशा हमेशा के लिए जुदा होना यही था। कुछ दिनों के उसके ठहराव ने एक परत खोल दी थी। एक अनजान चेहरा दिखा था। जो उसने पूरे साल/समय छुपाए रखा। जुदाई के इस किस्से में बातचीत बंद करना कहीं नहीं था। एक दूसरे को नीचा गिराना/दिखाना भी नहीं था। अब मैं सहज तौर पर हाल चाल पूछ लेता। अपना बता भी देता। अब भी घंटों बात होती थीं। लेकिन कोई जुड़ाव नहीं था। उसकी मखमली से मखमली और प्यारी बातचीत व्यवहार जो समान्य रूप से मन मोह देने वाला होता था। बस अब झांसा लगने लगा।  वो झांसा ही था। बहुत शातिराना आंदाज से धोखा कैसे दिया जाता है उसका ख़ूबसूरत अध्याय था। प्रेम में नौसिखुए के साथ कोई इस क़दर कैसे कपट कर सकता है यह उस समय समझ से बाहर की बात थी। 1990 में एक फिल्म आई थीं। उसका नाम था जुर्म ! मुझे फ़िल्म अपने कहानी और कलाकारों कि बदौलत याद नहीं हैं। बल्कि इसके दूसरे कारण है। इस फ़