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Showing posts from September, 2019

आज बेटी दिवस है

                                            🎤📝  - राहुल पाण्डेय रश्की आज बाईस सितम्बर है.सुबह उठा तो कैलेंडर बता रहा था कि विश्व "अन्तर्राष्ट्रीय बेटी दिवस " के रूप में यादगार दिन मना रहा है. अब बेटी शब्द सुनते ही मन अजीब स्थिति में पहुंच गया. इंस्टाग्राम खोला तो बड़ी बड़ी हस्तियों जैसे प्रियंका गांधी, स्मृति ईरानी, शिखर धवन, निर्मला सीतारमण आदि ने बेटी दिवस को सेलिब्रेट किया है.अपनी अपनी बेटियों के फोटो को बकायद पोस्ट किया है. कुछ ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे की अपील कि है.दूसरी तरफ कुछ ने वर्तमान सरकार में बेटियों पर बढ़ते अत्याचार के कारण अपना गुस्सा दिखाया. मैं भी इन्हीं द्वंद में जूझता रहा तभी मुन्नव्वर राणा का मशहूर शेर याद आता है.     ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती जुलती है     कहीं भी शाख़-ए - गुल देखे तो झूला डाल देती है आज हिन्दुस्तान कि बात करें तो बेटियों के किस्से मशहूर हो चले है. दो साल पहले प्रसिद्ध विश्वविद्यालय बीएचयू में राष्ट्रपति मुखर्जी ने व्यंगात्मक लहजे में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हमारी बेटियां इसी तरह स

प्रेयसी को अंतिम खत

प्रिय प्रेयसी                कमरे में अकेले मेन लाइट बन्द कर टेबल लैंप जला कर जब मै पढ़ने बैठता हूं तब तुमसे कह देता हूं, कॉल मत करना ! और तुम मान जाती हो. बस दो घंटे बीतते है . इलाहाबाद के पढ़ाकुओं का बाइबिल "लूसेंट समान्य ज्ञान" में मेरियाना गर्त को प्रशांत महासागर की शांति में ढूंढा ही था , तबतक बगल में रखें मेरे नए वाले रेडमी नोट सेवन प्रो की डिस्पले चमक उठती है। नोटिफिकशन बार के टॉप फ्लोर पर तुम्हारे नंबर के सामने मैसेज की गिनती बढ़ती जा रही है. पता नहीं क्यों , अब बढ़ते मैसेज दिल की धड़कनों को बढ़ाते है. कभी तुम्हारे एक मैसेज का दस रिप्लाई देने वाला बन्दा दस-बीस या सौ मैसेज की एक रिप्लाई देने से डर जाता है. शीशे की खिड़कियों के उसपार ऊचे आसमान से गिरती बारिश की बूंदे मुझे प्यास का अहसास कराती है. पीले बॉटल की तलहटी में दो बूंद पानी बचा है,उसे ही पी लेता हूं। अजीब यह है कि प्यास बुझ जाती है. मन कर रहा है कमरे से निकल कर पानी भर लाऊ, फिर डर लगने लगता हैं . कही तुमसे सामना न हो जाए. मै फिर देखता हूं बड़ी तेजी से मैसेज के नम्बर बढ़ रहे है. बढ़ते मैसेज को देखक