Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2019

व्यर्थ (कविता ) by Rashki nama

व्यर्थ ( कविता ) व्यर्थ कब तक खोया रहूं तेरी बातों की जुल्फों में की कभी पूछोगी दो हाल मैं बेसब्री से इंतजार में हूं जब सुबेह होगी तो ! जब सुलह होगी तो ? व्यर्थ कब तक ढलती रहेंगी रात अंधेरे तले की कभी पूछेगी सुबह की लालिमा क्या कहोगे कुहारा छटा तो ! जब अरुणिमा खिलेगी तो ? व्यर्थ कब तक बोलूंगा अधूरे सवालों के जवाब में कभी वक़्त पुकारेगा हमें बुरे वक़्त के दायरे में क्या बोलेंगे अगर कोई पूछे तो ! क्या बोलोगे अगर उसने ठुकराया तो ? व्यर्थ कब तक सोचूंगा डूबकर तिरी तस्वीर में की ख़ुद की तस्वीर में तस्वीर तेरी दिख गई एक टक निहारता रहा तो ! क्या होगा हाल - ए - दिल मकबूजा हुआ तो ?                         📝-  राहुल पांडेय रश्की ( 26/11/2019