हजारों कहानियां लिखी जाएंगी मेरे आफताब के फ़सानो मैंने इश्क़ दिल से नहीं उसके रूह से किया हैं....वर्षों बीत जाएंगे जमाने को यह बात दोहराने में की इश्क में रस्मों रिवाज का कोई पैग़ाम नहीं मिलता हैं .....कहीं कोने में सुबक कर खुद को बहला लूंगा में मग़र इस इश्क के रमजान में ईदी नही मांगूंगा - रश्की
" रश्की नामा " ब्लॉग के एक एकमात्र और नियमित लेखक राहुल कुमार पाण्डेय " रश्की " हैं। आप हिंदी साहित्य , राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के गंभीर अध्येता हैं। समसामयिकी विषयों पर चिंतन और लेखन को लेकर सक्रिय रहते हैं। इस ब्लॉग पर व्यक्त विचार नितांत व्यक्तिगत हैं। उपलब्ध सामग्री राहुल पाण्डेय रश्की के स्वामित्व अधीन हैं। प्रकाशन हेतू अनुमती आवश्यक है। ब्लॉग से जुड़े समस्त कानूनी मामलों का क्षेत्र इलाहाबाद होगा।