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तुम और तुम्हारी यादें( कविता)

तुम और तुम्हारी यादें

                 ( तस्वीर - मीनाक्षी )

तुम और तुम्हारी यादें
बिल्कुल एक दूसरे की पूरक हो

तुम्हारी चंचलता की स्थायी भाव है
तुम्हारी यादें

जब भी मेरा मन नहीं लगता
मैं गुफ्तगू
कर लेता हूं -
कितने प्यार से
एहसासों से सराबोर कराती है
तुम्हारी यादें

घंटों मेरे साथ रहती
फिर भी कभी नहीं ऊबती है
तुम्हारी यादें
और कितनी बातूनी है
कभी थकती ही नहीं
तुम्हारी यादें

जुदाई उन्हें बर्दाश्त नहीं
मैं जहां भी रहूं वहां
मेरे साथ रहती हैं
तुम्हारी यादें

बिस्तर पर पड़े पड़े
या भीड़ भरी बस में खड़े खड़े
कभी भी
कहीं भी
गुदगुदा कर
हसा देती हैं
तुम्हारी यादें

बड़ी भावुक हैं
विह्लव से भरकर
पल भर में हृदय में पतझड़ कर
आसूं भर कर आंखों में
रूला देती हैं
तुम्हारी यादें

इस मनोभाव की उच्छलता से
दूर चला जाना चाहता हूं

कब तक गाऊ
यह विरह गीत
कुछ प्रीत की बातें बता जाऊं

✍️रश्की 












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