हिंदुस्तान की अवाम के लिए कश्मीर ईश्वर के जैसा ही कौतुहल एवम रोचक विषय रहा हैं - "धरती का स्वर्ग" जहाँ फ़रिश्ते बसते हैं । ऐसे ही शब्दों के मकड़जाल में उलझ कर कश्मीर हमारे मन में चिंतन का सबसे प्रिय विषय रहा । सर्वाधिक तेज गति से चलायमान मेरा मन बचपन मे न -जाने क्या-क्या सपने बुनता रहा। उस नाजुक मन के सामने सबसे सुखद वस्तु स्तिथि की तस्वीर प्रस्तुत की जाती -क्योकि हमारे लिए धार्मिक भावनाएं अहम हैं इसलिये सबसे पहले बताया गया कि वहाँ माता रानी देवी का निवास हैं बाबा महेश अमरनाथ में बसते हैं।हमारे इलाके के अधिकांश पैसे वाले जब अपनी धार्मिक यात्रा शुरू करते तो सबसे पहले माता रानी के दरबार में ही जाते । वहां से लौटने के बाद मुहल्ले भर में अखरोट एवम माता की फ़ोटो लगी गलमाला बाटी जाती थी। भाड़े पर टीवी मंगा कर "अवतार" फ़िल्म लगाई जाती और टीवी वाले से "चलो बुलावा आया हैं माता ने बुलाया है" गाने को बजवाते हुए मेजबान यात्राधीश महोदय हम सबको यह बताते की देखों..मैं इसी रास्ते से गुजरा था- वँहा जहां पेड़ दिख रहा हैं न ,एक गहरी खाई हैं. अब तक कई लोग उसमे लुढ़के हैं परंतु क
" रश्की नामा " ब्लॉग के एक एकमात्र और नियमित लेखक राहुल कुमार पाण्डेय " रश्की " हैं। आप हिंदी साहित्य , राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के गंभीर अध्येता हैं। समसामयिकी विषयों पर चिंतन और लेखन को लेकर सक्रिय रहते हैं। इस ब्लॉग पर व्यक्त विचार नितांत व्यक्तिगत हैं। उपलब्ध सामग्री राहुल पाण्डेय रश्की के स्वामित्व अधीन हैं। प्रकाशन हेतू अनुमती आवश्यक है। ब्लॉग से जुड़े समस्त कानूनी मामलों का क्षेत्र इलाहाबाद होगा।