Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2021

जीवन सार

 कहानी - (जीवन - सार) लेखक -  राहुल कुमार पाण्डेय रश्की  1 लू चल रहीं थीं, दोपहर की धूल भरी हवा , फगुनाहट का असर धीरे धीरे अवसान ले रहा था, चैत महीने के कुछ ही दिन बीते थे । वो मेरे रिश्तेदार के रिश्तेदार की पड़ोसी है। और सजातीय भी है। उसका नाम मौसम है। मैं पहुंचा तो वो बैठी मिली। मेरे नाश्ते पानी की व्यवस्था रिश्तेदार कर रहे थे, उसने उछल कर सबसे पहले टेबल फैन चला दिया। बटन दबा कर सर नीचे झुकाए झुकाए कहा :- एतना गरमी बा, रास्ता में बहुत परेशानी भईल होई ? जबाब में मैंने केवल हूं कहा और वो चुप बैठ गई। 2  जब पहली बार एक वैवाहिक कार्यक्रम में मिली थीं तो मुझे नॉन सेंस लगी थीं, इस लिहाज़ से की रहन सहन, बोल चाल गांव की परंपरा से ग्रहण किया था। जहां एक तरफ़ मैंने अपनें इलाहाबाद प्रवास के दौर में लड़कियों के बारीक फैशन सेंस से तुलना कर दी, सजने संवरने का कोई ठिक ढंग नहीं, लिपिस्टिक भी होठों पर फैले फैले, गालों पर मेकअप का उचित संतुलन नहीं ! इस बकवास सी तुलना के बाद मैंने अपने आप को कोसा , मैं 12 क्लास में पढ़ रही लड़की की तुलना फालतू में उनसे कर रहा हूं जो बचपन से ब्यूटी पार्लर की दहलीज लांघा