कभी कभी जब मैं कुछ नहीं करता हूं तो अपने आप को याद करने लगता हुँ।
इस भागदौड़ में जीवन के एक भी पहलू पर ठीक से नजर फिराने का मौका मिलना भी दूभर हैं। खुद पर नजर दौड़ाते हुआ हुए अनेक ब्रेकर मिलते है जब हमें रुकना पड़ता हैं। तुम्हारी यादें यू तो पूरी जिंदगी में साथ साथ जुड़ी हैं, लेकिन यह जो ब्रेकर हैं किसी विशेष खास घटना को खुद से थामे बैठे हैं। ये अतीत के साथ घुल मिल चुके हैं।
जब भी मैं ज्यादा दुखी होता हूँ तो वह मुझें ख़ुशी का अहसास कराते हैं, जब मैं ख़ुश होता हुँ तब यह उस खूबसूरत गुलाब के ठीक नीचे नुकीले काट की तरह मुझें कष्ट पहुचने को तैयार रहते हैं।
कुछ दिनों तक मैं क्रमागत रूप से सुख दुख का अनुभव करता रहा, पर इन दिनों जब महीनें छह महीनों पर खुद को देखता हु तो केवल दुख होता हैं।
अपार पीड़ा होती हैं उन फैसलों पर जिसे मैंने साझा हितों को ध्यान में रखते हुए दीर्द्ध कालीन लाभ की दृष्टि से लिया हैं.... मुझे पीड़ा देते हैं
मैं इस पीड़ा से डरने लगा तो खुद को देखना छोड़ दिया। भगवान कृष्ण की फिलॉसफी को ध्यान में रखते हुए अब केवल आज के लिए जी रहा हूँ।
अब कभी खुद से मायूस होता हूं तो खुद के बजाय अपने मोबाइल फोन को खंगालता हुँ। सैकड़ों के सेव नम्बरों को देखता हूँ, हर चेहरे को पहचानने की कोशिश करता हुँ। उनमें से एक नम्बर आपके नाम से भी सेव हैं ,मुझे याद हैं मैंने यह नम्बर खुद से सेव नही किया हैं, लेकिन कभी डायल नहीं किया हैं। कभी जरूरत नहीं पड़ीं।पड़ी होती तो ट्रूकॉलर यह बताता की कितनी देर बात हुई हैं
मैं अक्सर चाहता हूं कि यह नम्बर डिलीट कर दूं। लेकिन पता नही क्यों डिलीट नहीं होता हैं। कुछ अपने जानकार दोस्त बताते हैं कि मोबाइल फॉरमेट करना होगा। मुझें कर हैं कि आपके नम्बर के साथ यह यादे भी फॉमेट न हो जाये।
लेकिन यह नम्बर पता नही क्यो जिंदा हैं।
रश्की 💓
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