हजारों कहानियां लिखी जाएंगी मेरे आफताब के फ़सानो मैंने इश्क़ दिल से नहीं उसके रूह से किया हैं....वर्षों बीत जाएंगे जमाने को यह बात दोहराने में की इश्क में रस्मों रिवाज का कोई पैग़ाम नहीं मिलता हैं .....कहीं कोने में सुबक कर खुद को बहला लूंगा में मग़र इस इश्क के रमजान में ईदी नही मांगूंगा
- रश्की
आख़िर कब होगा न्याय ? भारत का अतीत समृद्ध प्रभाशाली एवम विविधता से युक्त रहा है। इस धरती ने न्याय और सम्मान की सुखद परिभाषा गढ़ी है। अहिंसा एवम समानता के सिद्धांत को इस मिट्ट...
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