हिंदुस्तान की अवाम के लिए कश्मीर ईश्वर के जैसा ही कौतुहल एवम रोचक विषय रहा हैं - "धरती का स्वर्ग" जहाँ फ़रिश्ते बसते हैं ।
ऐसे ही शब्दों के मकड़जाल में उलझ कर कश्मीर हमारे मन में चिंतन का सबसे प्रिय विषय रहा । सर्वाधिक तेज गति से चलायमान मेरा मन बचपन मे न -जाने क्या-क्या सपने बुनता रहा।
उस नाजुक मन के सामने सबसे सुखद वस्तु स्तिथि की तस्वीर प्रस्तुत की जाती -क्योकि हमारे लिए धार्मिक भावनाएं अहम हैं इसलिये सबसे पहले बताया गया कि वहाँ माता रानी देवी का निवास हैं
बाबा महेश अमरनाथ में बसते हैं।हमारे इलाके के अधिकांश पैसे वाले जब अपनी धार्मिक यात्रा शुरू करते तो सबसे पहले माता रानी के दरबार में ही जाते । वहां से लौटने के बाद मुहल्ले भर में अखरोट एवम माता की फ़ोटो लगी गलमाला बाटी जाती थी। भाड़े पर टीवी मंगा कर "अवतार" फ़िल्म लगाई जाती और टीवी वाले से "चलो बुलावा आया हैं माता ने बुलाया है" गाने को बजवाते हुए मेजबान यात्राधीश महोदय हम सबको यह बताते की देखों..मैं इसी रास्ते से गुजरा था- वँहा जहां पेड़ दिख रहा हैं न ,एक गहरी खाई हैं. अब तक कई लोग उसमे लुढ़के हैं परंतु कोई गिरा नही है..सब माता रानी का आशीर्वाद हैं
हम क्या करते ? बालक वरदराज की तरह मूढ़ होकर अपना सर हिलाते रहे रात 12 -1 बजे तक "अवतार"में डूबने के बाद घर आकर सोये और सुबह 8 बजे तक सोये ही रहे-मेरे मानसिक मिजाज को समझने वाले घर के सभी सदस्य अपने अपने कार्य मे मशगूल थे।ट्यूशन वाले भगत जी मास्टर साहब ने मेरे हम-कमीज भाई से नीम के पेड़ का पतला छरका मंगाया ओसारे से आंगन में घुस कर आवाज लगाई। माँ घूंघट डाल कर एक बगल में साइड हो गई वे पिता जी के इशारा को समझ सीधे मेरे कमरे में चले आये।अपने सभी समझदारी को तिरस्कृत करते हुए पेटमुहिया सोये एक निरीह बालक के चूतड़ पर हैट्रिक लगा दी।
कसम से उस समय मुझे उतना ही दर्द हुआ जितना आज तब होता हैं जब मोदी के वादे जुमले होते जा रहे हैं या तब होता हैं जब राहुल को प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाता हैं।
मुँह हाथ धो कर जब ट्युशन में बिठा तो मास्टर जी ने रात को जागने का कारण पूछा -मुँह खुला और बकबकबक "अवतार" बयां हो गई साथ में ढेरों सवाल कश्मीर से जुड़े हुए । हमारे मास्टर जी भी कम थोड़ी थे-अपने जमाने के मैट्रिक पास व्यक्ति ! हमारे हर सवाल का जवाब देना शुरू किया.
सवाल लगाने वाली कॉपी बंद कर दी गई अखण्ड प्रवचन शुरू-
जम्मू कश्मीर भारत का एक राज्य है। यहां साल भर बर्फ गिरती हैं। यँहा दो झीलें हैं। डल झील और बुलर झील । ठंडी में तो झील पूरा जम कर बर्फ बन जाती हैं कश्मीर के लड़के इसी पर क्रिकेट खेलते हैं। वहाँ बहुत पहाड़ हैं।गहरी खाई हैं।वहाँ सेव् के पेड़ है।अंगूर वही मिलता हैं।अखरोट भी वही का हैं।......
सिलसिलेवार ढंग से हमारे मास्टर जी ने जो भाषण टाइप का ट्युशन पढ़ाया उसी टाइप का लेक्चर हमारे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मनोज सर देते है।
एकदम ऐसा लग रहा था कि डल झील के ऊपर बर्फ में हम खुद "कु -कु-हू-का" खेल रहे है
कश्मीर की यही तश्वीर उतारी जाती थी। अब मित्र मंडली में इस बात पर ज्यादा चर्चा होने लगी कि हमारे बिहार में सेब ओर अंगूर क्यो नही पैदा होता हैं?
हम सब धीरे धीरे बड़े होने का इंतजार करने लगे
खास कर मैं -क्योकि मुझे कश्मीर जाना था ।
बचपन का मेरा सबसे प्यारा सपना की मैं कश्मीर में घर बनाऊंगा और मम्मी-पापा को लेकर वही रहूंगा
जो घर के हाते में सेव और अंगूर का पेड़ लगाऊंगा अगर कोई बीमार होगा और डॉक्टर कमजोरी हटाने के लिए सेव खाने को कहेगा तब मैं सबसे सस्ता सेव बेचूंगा।क्योकि यँहा सब लोग महंगा सेव बेचते हैं
-शेष अगले अंक में "जारी हैं "
नोट- आपकी प्रतिकिया का स्वागत हैं।
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